February 16, 2014

नारी

कभी मेरे,
कभी उनके,
घर की ज़रुरत सी रह
भोर से रात ढले
जांते में पिसती रह
हाय री! अबला सी
तू मत रह
नारी है,
नारी सी रह! 

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