June 7, 2013

हादसों का शहर

ये हादसों का शहर है
यहाँ न जाने
कब किसकी संवेदना मर जाए
और पल भर में
किसी की जेब कट जाये!

यहाँ मृत संवेदनाएं
सड़कों पर मौत बेलगाम दौड़ती हैं
बी एम डबल्यू कारें सरेआम रौंदती हैं
बेटियों की अस्मत भी महफूज़ नहीं
न जाने कब कोई हादसा हो जाये!

हर हाथ में चाकू
यहाँ हर शख्स चक्कूबाज़
फिक्रमंद दिल कब तक खैर मनाये
कोई नहीं जानता
कब किसकी अंतरात्मा आत्मा मर जाए!

आँखों में फ़रेब
साफ़ झलकता है
आइना भी हक़ीक़त छिपाता है
मैंने यहाँ आँखों में सूअर के बाल देखे हैं
पर नहीं जानता कौन घड़ियाली आंसू टपका जाए!

साहिबान मैं आयातित हूँ
इस भीड़ का हिस्सा नहीं
लाचारी है माहौल में ढलता नहीं
सोचता हूँ
शायद किसी रोज़ इसी भीड़ में अपना कोई मिल जाये!


 










 

मेरे पीछे मत आना

मेरे पीछे मत आना,
यह रास्ता आगे बंद है
तुमने जिस वजह से छोड़ा,
वो जेब आज भी तंग है.

ख्यालों में आसरा मांगने वालों
मेरे हाल पर छोड़ दो
मुझ तक पहुँचने के रास्ते
बहुत तंग हैं.

तुमने, उसने
हर इक शख्स ने
जो भी दिया, बेपनाह दिया
उसका गवाह ये अंग है.

दुआ करना...कभी सामना न हो
ग़र हो भी जाये
तो फासला रखना
क्योंकि क्रोध पर मेरा नियंत्रण कम है.