ख़ामोशी
July 14, 2011
मुझे पाषाण बना दो
सुनो ...
मुझे पाषाण बना दो
जिसमें न ह्रदय
न भावनाएं,
न संवेदनाएं हों
न इसके धड़कने का डर हो
किसी से आहत
न दुःख से द्रवित हो
आंसुओं से भी जो
बेखबर, बेअसर हो
ऐसा मुझे निष्ठुर एक इंसान बना दो.
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