चलो फिर से बच्चा बन जाएँ
यादों की
कच्ची धूप में
बचपन की सैर कर आयें
...और माँ के आँचल से
ढेर सारा स्नेह बटोर लायें...
January 14, 2008
22. मन चाहता है
आज मन लिखना नहीं
कुछ कर गुज़रना चाहता है
अतीत के स्याह पन्ने से
निकल भागना चाहता है
किसी की यादों में खोने
उसकी अमराई में उतराना
रूप लावण्य को बूँद-बूँद पीना चाहता है
सच कहूं तो
मन अब जीना चाहता है ....
कुछ कर गुज़रना चाहता है
अतीत के स्याह पन्ने से
निकल भागना चाहता है
किसी की यादों में खोने
उसकी अमराई में उतराना
रूप लावण्य को बूँद-बूँद पीना चाहता है
सच कहूं तो
मन अब जीना चाहता है ....
21. मन क्यों भटकता है?
क्यों मन तुम्हारी यादों के सिवा
कहीं और नहीं भटकता?
क्यों यादें मुझे ले जाती हैं तुम तक?
क्यों तरुवर की शाखों से फूल नहीं
तुम्हारी खुशबू बरसती है?
क्यों शाम की तन्हाइयां
अब ड्स्ती नहीं
गुदगुदाती हैं
रोम रोम पुलकित कर जाती हैं?
क्यों मन तुम्हारा आगोश पाने को
आतुर रहता है?
क्यों वह पल थम नहीं जाता
जब हम आलिन्गन्बध्ध होते हैं?
क्यों ज़माने की क्रूर अंगुलियाँ
उठती हैं कलेजे को दुखाने को?
क्यों समझते नहीं लोग
मन के भावों को?
कहीं और नहीं भटकता?
क्यों यादें मुझे ले जाती हैं तुम तक?
क्यों तरुवर की शाखों से फूल नहीं
तुम्हारी खुशबू बरसती है?
क्यों शाम की तन्हाइयां
अब ड्स्ती नहीं
गुदगुदाती हैं
रोम रोम पुलकित कर जाती हैं?
क्यों मन तुम्हारा आगोश पाने को
आतुर रहता है?
क्यों वह पल थम नहीं जाता
जब हम आलिन्गन्बध्ध होते हैं?
क्यों ज़माने की क्रूर अंगुलियाँ
उठती हैं कलेजे को दुखाने को?
क्यों समझते नहीं लोग
मन के भावों को?
20. साया
जब साया भी साथ छोड़ दे
जीवन से ख़त्म होने लगे उम्मीदें
...और तुम अंधेरों में घिर जाओ
फिर पुकारना
में अवश्य आऊंगा
तुम्हें एक नया आकाश दिखाऊंगा
जहाँ धरती मिलती है
आकाश से!
जीवन से ख़त्म होने लगे उम्मीदें
...और तुम अंधेरों में घिर जाओ
फिर पुकारना
में अवश्य आऊंगा
तुम्हें एक नया आकाश दिखाऊंगा
जहाँ धरती मिलती है
आकाश से!
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