मैंने देखा है
सम्भ्रान्त इलाके की गगनचुम्बी इमारतों के नीचे
उस लाल बत्ती पर
एक बच्ची को
एक वक़्त की रोटी के लिए
नक्कारे की गूंज पर
करतब करते हुए
मैंने देखा है....
एक संभावित भविष्य को
सिस्टम के आगे पस्त
करतब करते नट को
भूख का भय दिखाने के लिए
मुखाकृति विकृत करते
चेहरे पर स्वांग रचाते
मैंने देखा है...
अमीरों के कनॉट प्लेस बाज़ार में
जीवन से जूझते वृद्ध को
आयातित गाडि़यों के शीशे के पार से
घिघिया कर तुच्छ खिलौने बेचने की कोशिश करते
और उससे मुंह मोड़ते धन कुबेरों को
मैंने देखा है...
पुलिस मुख्यालय के सामने
सड़क पर ख़ून से लथपथ
घंटों दर्द से कराहते युवक को
अनदेखा कर सभ्य समाज के रहनुमाओं को
स्पन्दनहीन आगे बढ़ते
और मुख्यालय के गेट पर संतरी को
मुस्तैदी से ड्यूटी बजाते
मैंने देखा है...
भीड़ में अनजाने छुअन पर
सैंडल दिखाती सम्भ्रान्त घरों की युवतियों/महिलाओं को
व्यस्त सड़कों पर
फर्राटे से भागती कारों में
परिचित पुरुष को चुम्बन देते
मैंने देखा है...
ट्रेन में रेल कानून झाड़ते
एक अदद सीट के लिए
अपने पीछे घूमते जरूरतमंद यात्री पर
ईमानदारी की धौंस जमाने वाले टीटीई को
20 रुपये रिश्वत के लिए
सवारियों से हुज्जत करते
मैंने देखा है....
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में
जंतर-मंतर और रामलीला मैदान में
तख्तियां, झंडे लहराते हुए
रिश्वतखोरों को
भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ
जि़न्दाबाद के नारे लगाते
मैंने देखा है...
- नागार्जुन
सम्भ्रान्त इलाके की गगनचुम्बी इमारतों के नीचे
उस लाल बत्ती पर
एक बच्ची को
एक वक़्त की रोटी के लिए
नक्कारे की गूंज पर
करतब करते हुए
मैंने देखा है....
एक संभावित भविष्य को
सिस्टम के आगे पस्त
करतब करते नट को
भूख का भय दिखाने के लिए
मुखाकृति विकृत करते
चेहरे पर स्वांग रचाते
मैंने देखा है...
अमीरों के कनॉट प्लेस बाज़ार में
जीवन से जूझते वृद्ध को
आयातित गाडि़यों के शीशे के पार से
घिघिया कर तुच्छ खिलौने बेचने की कोशिश करते
और उससे मुंह मोड़ते धन कुबेरों को
मैंने देखा है...
पुलिस मुख्यालय के सामने
सड़क पर ख़ून से लथपथ
घंटों दर्द से कराहते युवक को
अनदेखा कर सभ्य समाज के रहनुमाओं को
स्पन्दनहीन आगे बढ़ते
और मुख्यालय के गेट पर संतरी को
मुस्तैदी से ड्यूटी बजाते
मैंने देखा है...
भीड़ में अनजाने छुअन पर
सैंडल दिखाती सम्भ्रान्त घरों की युवतियों/महिलाओं को
व्यस्त सड़कों पर
फर्राटे से भागती कारों में
परिचित पुरुष को चुम्बन देते
मैंने देखा है...
ट्रेन में रेल कानून झाड़ते
एक अदद सीट के लिए
अपने पीछे घूमते जरूरतमंद यात्री पर
ईमानदारी की धौंस जमाने वाले टीटीई को
20 रुपये रिश्वत के लिए
सवारियों से हुज्जत करते
मैंने देखा है....
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में
जंतर-मंतर और रामलीला मैदान में
तख्तियां, झंडे लहराते हुए
रिश्वतखोरों को
भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ
जि़न्दाबाद के नारे लगाते
मैंने देखा है...
- नागार्जुन