ख़ामोशी
November 6, 2009
47. एक कुफ्र टूटा
एक कुफ्र टूटा
खुदा खुदा करके
एक टूटेगा
तौबा करके.
ये दर्द जिसे पालता हूँ
बरस दर बरस
सालता हूँ
यही तो मुझे मंजिल की
याद दिलाते हैं.
कहाँ जाना है
यही तो बताते हैं!
46. फ़िर भी हर क़तरा दुहाई देगा
जा
कहीं
से
खंज़र
कोई
औज़ार
ले
आ
और
छलनी
कर
दे
इस
ह्रदय
को
फ़िर
भी
हर
क़तरा
मेरे
प्रेम
की
दुहाई
देगा।
लहू
का
हर
क़तरा
तेरा ही नाम लिखेगा...
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