August 1, 2009

28. चलो तुम्हें ले चलता हूँ


चलो तुम्हें ले चलता हूँ
एक ऐसी जगह
जहाँ खुली हवा, मद्धम चाँदनी
तितलियों का जमघट
और झरनों का बहता पानी होगा।
चलो वहाँ ले चलता हूँ तुमको
जहाँ आसमान झुक कर
चूमता है धरा को
लाल-लाल आभाओं के उसी आकाश तले चलो।
चलो तारों के झुरमुटों से झांकते
चाँद को निहारेंगे
धवल चांदनी में नहायेंगे
थक गए तो
किसी तरुवर की छाँह तले सुस्तायेंगे।
कहो... चलना है?

चलो तुम्हे ले चलता हूँ