March 2, 2013
आइये हाथ उठायें
आइये हाथ उठायें
क्योंकि आसमान सिर पर है
और सूरज को मुट्ठियों में भरना है
कल के उजाले के लिए.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि अब वक़्त दुआ नहीं
जड़ से उखाड़ने का है
साफ़ मिट्टी में तन कर खड़े होने का है.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि हम मरे नहीं हैं
संवेदनाएं अब भी जिंदा हैं
इसलिए मुट्ठियाँ भींच जाती हैं कभी-कभी.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि आत्मा लहुलूहान
लेकिन रीढ़ सलामत है
और लाचार लताओं का सहारा बन सकते हैं.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि सड़ी हुई व्यवस्था की सडांध
नथुनों में घुसपैठ कर
बेचैन करने लगी है
और भ्रष्टाचार की जड़ें जकड़ने को तैयार हैं.
क्योंकि आसमान सिर पर है
और सूरज को मुट्ठियों में भरना है
कल के उजाले के लिए.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि अब वक़्त दुआ नहीं
जड़ से उखाड़ने का है
साफ़ मिट्टी में तन कर खड़े होने का है.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि हम मरे नहीं हैं
संवेदनाएं अब भी जिंदा हैं
इसलिए मुट्ठियाँ भींच जाती हैं कभी-कभी.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि आत्मा लहुलूहान
लेकिन रीढ़ सलामत है
और लाचार लताओं का सहारा बन सकते हैं.
आइये हाथ उठायें
क्योंकि सड़ी हुई व्यवस्था की सडांध
नथुनों में घुसपैठ कर
बेचैन करने लगी है
और भ्रष्टाचार की जड़ें जकड़ने को तैयार हैं.
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