कहाँ गयी तुम मृगनयनी
मुझको अपने कुंतल में उलझाकर
सुख शान्ति सब ठुकराकर
प्रेम मेरा पल में बिसराकर
किस नगर जा बैठी हो?
दीप प्रेम का प्रज्ज्वलित कर मन में
धवल रूप से घर को रोशन कर
कहाँ गयी तुम मृगनयनी?
व्याकुल नयना रास्ता देखें
ह्रदय तेरे ही नाम पे धड़के
कैसे इसे बहलायें?
बता मेरी मृगनयनी ...
तीन तसवीरें तेरी दो वस्त्रों में
उलझा हूं अब तक
कैसे भिजवाऊं इन्हें मैं तुम तक
इतना ही बतला दो...
मुझको अपने कुंतल में उलझाकर
सुख शान्ति सब ठुकराकर
प्रेम मेरा पल में बिसराकर
किस नगर जा बैठी हो?
दीप प्रेम का प्रज्ज्वलित कर मन में
धवल रूप से घर को रोशन कर
कहाँ गयी तुम मृगनयनी?
व्याकुल नयना रास्ता देखें
ह्रदय तेरे ही नाम पे धड़के
कैसे इसे बहलायें?
बता मेरी मृगनयनी ...
तीन तसवीरें तेरी दो वस्त्रों में
उलझा हूं अब तक
कैसे भिजवाऊं इन्हें मैं तुम तक
इतना ही बतला दो...