December 31, 2007

12. बस एक क्रांति

एक
एक क्रांति ...
अपराधमुक्त, भयमुक्त
स्वच्छ समाज के नाम।
एक क्रांति ...
बेटियों के नाम
दहेज़ लोलुप
दुष्टों के नाम।
एक क्रांति ...
समग्र विकास के नाम।
एक क्रांति...
भ्रष्टाचारमुक्त
राष्ट्र के नाम।
एक...
बस एक क्रांति
मेरे प्रान्त
बिहार के नाम।

11. दो पाटों की क्रांति

दो सिराओं में बँटी क्रांति
नदी के दो पाटों की भांति।
फिर भी कहते हैं ...
हम क्रांति लायेंगे!
लेनिन नहीं रहे
छूट गया पीछे
लेकिन...
क्रांति करनी है।
क्रांति होनी भी चाहिए
और होगी भी।
किन्तु...
पहले संगठित करना होगा
खुद को
संगठित होना होगा
साथ ही,
दोमुहों से
सावधान भी रहना होगा!
मार्क्स नहीं रहा
रह गया "वाद"
उलझकर इसी वाद में
क्रांति पथ गामी
करने लगे विवाद।
हाय रे!
लेनिन,मार्क्स
तू ही बता
क्या इस रास्ते
आ सकेगी क्रांति?
दोराहे से
किधर मुड़ेगी क्रांति?
नोट : विचार धारा के समर्थक साथियों को शायद यह नागवार गुज़रे, किंतु यह विचार पूर्णतया मेरे निजी हैं.इसे स्वस्थ तरीके से लें.

10. नाम... खबीस, उम्र तीस

पहले एक थे
अब तीन हुए
(तीन अवस्थायें जीवन की )
आंसू भी तब
मीठे थे ...
अब नमकीन हुए।
तीस बसंत
गुज़रे नज़रों से
शीश झुकाए खड़ा रहा
ज़िद पर एक ही
अड़ा रहा।
जागती आँख का सपना था वह
सतरंगी थे वे
स्वप्न बड़े
एक कमी है बस
करतल में
"वह" डहरीर  नहीं!
गिरकर अभी
संभल भी नहीं पता कि
फिर गिर जाता हूँ
अंग-प्रत्यंग चोटिल
थके क़दम
बोझिल आंखें हैं
सोऊं कैसे चिरनिद्रा में
पोर-पोर में
दर्द बसा है।
कौन लगाता मरहम किसको
कौन किसी की सुनता है
सभी सहलाकर हौले से
घाव नया दे जाते हैं!
बहते मवाद की बूँद
गिर सूख चिपक
माटी में मिलती
मानवता काँटों पर पलती
रह जाती एक टीस
नाम ख़बीस
उम्र तीस!

9. तुम क्या दोगे?

मैंने कुछ नहीं माँगा तुमसे
वजूद का संकट तो
तुम्हारे लिए भी तो है!
पर इच्छा पर दिन कटते हैं तुम्हारे!
तुम क्या दोगे?
हाँ ...
एक परंपरा दे सकते हो
अन्धविश्वास का!
विस्तार दे सकते हो
भ्रष्टाचार को!
वृहत रूप में चढ़ावा पाते हो
बगैर इसके भी
सुनो कभी
किसी की पुकार!
तब मांगूंगा तुमसे
अपना अंश
और तुम देना मुझे
तभी मिटेगा
मन से मेरे
तुम्हारी निष्ठुरता का दंश!