स्मृतियों के पेड़
हमेशा छाहों में पलते हैं
गहन अन्धकार में
जहां रोशनी नहीं पहुंचती कभी.
इन पेड़ों पर जब
फूटती हैं नयी कोंपलें
यादों की परतें
एक-एक कर खुलती हैं
कभी आह्लादित
कभी असहज कर जाने को.
यादों की अमराई
सुवासित होती है
जब शाखों पर
उम्मीदों के फूल लगते हैं.
अश्रु से सिंचित
पेड़ कभी नहीं सूखते
भावनाओं की खाद पर
पलने वाले पेड़
सदा हरे रहते हैं
स्मृतियों के पेड़ ऐसे ही होते हैं.
हमेशा छाहों में पलते हैं
गहन अन्धकार में
जहां रोशनी नहीं पहुंचती कभी.
इन पेड़ों पर जब
फूटती हैं नयी कोंपलें
यादों की परतें
एक-एक कर खुलती हैं
कभी आह्लादित
कभी असहज कर जाने को.
यादों की अमराई
सुवासित होती है
जब शाखों पर
उम्मीदों के फूल लगते हैं.
अश्रु से सिंचित
पेड़ कभी नहीं सूखते
भावनाओं की खाद पर
पलने वाले पेड़
सदा हरे रहते हैं
स्मृतियों के पेड़ ऐसे ही होते हैं.