July 27, 2010

सोचता हूँ

अगर मैं लड़की होती
किसी अनजान के साथ
उम्रभर के लिए
बंध गयी होती...
सिगरेट की तरह सुलगती
रसोई में बर्तन घिसती
और घर के किसी कोने में
पड़ी चुपचाप क्या सुबक रही होती!
या अपने भाग्य पर इतराती!
नारी होने पर गौरवान्वित होती!!!
मार्च ८ २०१०

ये वादा करो

तुम ये वादा करो
कि वादा तोड़ोगे
मुझे हर हाल में
तनहा यूँ ही छोड़ोगे!
रात आएगी विदाई न दूंगा तुमको
पहले उस भरोसे को तोड़ो
कि तुम आओगे.
रात आएगी न बलाओं से रिहाई देगी
हर शख्स की बस धुंधली सी
तस्वीर दिखाई देगी
कह दो एहसासों को मरतें हैं
तो मर जाएँ
तुम न आओगे चाहे लाख मनाएं!!