एक डोर से बाँध दिया है खुद को
जब लगे दूर जा रहा हूँ
आहिस्ता अपनी ओर खींचना
रिश्तों को ताज़ा रखना!
न मानूँ, डांटना-फटकारना
कभी प्यार से समझाना...
मैं बहती नदी की मनमौज धारा हूँ
हर बार दूर भागूँगा
नयी राह बनाना मेरी फितरत है.
हमारे रिश्तों को
तुम्ही संभाल के रखना
मैं उसपर जमा गर्द धोता रहूँगा
राह गर मुश्किल लगे कहना
मैं बिछ जाऊंगा.
न कभी दूर होना, न मुझे दूर होने देना,
क्योंकि मैंने खुद को
एक बंधन में बाँध जो दिया है...
जब लगे दूर जा रहा हूँ
आहिस्ता अपनी ओर खींचना
रिश्तों को ताज़ा रखना!
न मानूँ, डांटना-फटकारना
कभी प्यार से समझाना...
मैं बहती नदी की मनमौज धारा हूँ
हर बार दूर भागूँगा
नयी राह बनाना मेरी फितरत है.
हमारे रिश्तों को
तुम्ही संभाल के रखना
मैं उसपर जमा गर्द धोता रहूँगा
राह गर मुश्किल लगे कहना
मैं बिछ जाऊंगा.
न कभी दूर होना, न मुझे दूर होने देना,
क्योंकि मैंने खुद को
एक बंधन में बाँध जो दिया है...