July 30, 2012

क्षणिकाएं

५ जुलाई

बहुत मुश्किल है जीना
यहाँ तो पत्थर भी पूजे जाते हैं.
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८ जुलाई

सुबह से ही आसमान में
पर्वतों का डेरा है
आज फिर किसी ग़म ने घेरा है...
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तन भीगा, मन भी भीगने देते
रात पड़ी थी, प्यास बड़ी थी
मेह तनिक और रिसने देते...
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मैं वही हूँ
वहीँ हूँ, जहां से
वर्तमान अतीत बन गया...
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२१ जुलाई

सरकार की कामचोर नीतियों का असर दिख रहा है
रुपहले परदे पर भी बॉडी से प्राण निकल रहा है...
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सोनिया जी सोनिया जी एक काम कीजिये
अपने दिमाग को आराम और बेटे को दूसरा काम दीजिये...
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तुमसे क्या शिकवा गिला करें
तुम्हें तो बैठाया ही था सर आँखों पर
नींद हराम करने के लिए.
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२२ जुलाई

यूपीए कब तक खैर मनायेगा
गठबंधन को टूटने से बचाने
अब कोई प्रणब नहीं आएगा.
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२३ जुलाई
यूपी में प्रगति पर है अखिलेश का काम
बदल दिए गए फिर आठ जिलों के नाम.
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