October 15, 2009

36. कह देना सरोकार नही

क्या कहोगी
जब पूछेंगी बहारें
कौन आता है
ख़्वाबों में तुम्हारे?
कह देना
वक्त का मारा कोई मुसाफिर था
राह भटका एक राही था
मैं उसकी पैरोकार नहीं
उस से मेरा सरोकार नहीं।

No comments: