October 15, 2009

35. पतझड़ की पगलाई धूप

कभी दुबक बादल में छिप जाती
कभी सिर चढ़ आती है
पतझड़ की पगलाई धूप
पसीने में नहला जाती है।
सावन, भादो
बादल में छिप जाती
आश्विन, कार्तिक
मद्धम पड़ जाती
फ़िर भटकी तो तीन मॉस तक
नज़र न आती
निकले तो पगलाती है।

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