October 15, 2009

37. शायद कुछ अच्छा होगा

मन कहता है
कुछ अच्छा होगा
ये जो विश्वास है
और पक्का होगा
अतीत से निकल आया हूँ
यह सोचकर
अब शायद कुछ अच्छा होगा।

4 comments:

Ajay Tripathi said...

बीते से निकल कर आज में पहुँचा ही अंधेरे से उजाले को पाना है। इस सुंदर कविता दिवाली प्रकाश को अति प्रकाशमान बना दिया है

बहुत सुंदर दिवाली कविता...

Devina said...

Good one. Keep the spirits high always.And no shayad...its all well and good.love and blessings.

संदीप said...

उम्‍मीद बनाए रखिए, शायद नहीं ज़रूर बहुत कुछ अच्‍छा होगा...

nituscorner said...

thank you for your visit to my blog. looking forward to many more.