अगर में टूट जाऊँ
मुझे मत जोड़ना
अगर में खो जाऊँ
मुझे मत ढूंढ़ना
...इन चलती-फिरती लाशों में;
क्योंकि तब
में वहाँ नहीं
कहीं और जा चुका होऊंगा!
जब कभी आये मेरी याद
नयनों से अश्क नहीं
बगिया से कोई फूल नहीं
मरघट से सन्नाटा ले आना...
में वहीं मिलूंगा
बस ...
इन अधरों से आहिस्ता पुकारना।
1 comment:
yah kavita achhi hai.isame samvednaon ki gahrai dikhati hai.
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