यह शहर बड़ा अजीब है
यहाँ के लोग
लक्ष्मी के करीब हैं,
कुबेर इनके अर्दली
और पाप इनके मित्र हैं।
यह शहर अँधा है
मत पूछो
स्याह शीशे के पीछे
क्या गोरखधंधा है।
यह शहर
अपनी समृध्धि पर अकड़ता है
दो बूँद नीर के लिए
पड़ोसियों की अनुकम्पा पर पलता है।
जनाब यह दिल्ली है
जाने किसने
यहाँ के लोगों की
मानवता छीन ली है।
यहाँ के लोग
अब बदल गए हैं
क्यों न बदलें
धनकुबेर जो बन गए हैं!
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