३ जुलाई
देखा! मैंने कहा था न
एक दिन पर्वत जब
निकलेंगे आखेट पर
तुम्हें निचोड़ देंगे भानु!
आज तू उदित होते हुए भी
अस्ताचल में छिपा है
तेरी रश्मियाँ भी साथ छोड़ गयीं
आखिर तेरी अकड़ निकाल ही दी!
.........................................
देखा! मैंने कहा था न
एक दिन पर्वत जब
निकलेंगे आखेट पर
तुम्हें निचोड़ देंगे भानु!
आज तू उदित होते हुए भी
अस्ताचल में छिपा है
तेरी रश्मियाँ भी साथ छोड़ गयीं
आखिर तेरी अकड़ निकाल ही दी!
.........................................
No comments:
Post a Comment