अगर मैं लड़की होती
किसी अनजान के साथ
उम्रभर के लिए
बंध गयी होती...
सिगरेट की तरह सुलगती
रसोई में बर्तन घिसती
और घर के किसी कोने में
पड़ी चुपचाप क्या सुबक रही होती!
या अपने भाग्य पर इतराती!
नारी होने पर गौरवान्वित होती!!!
मार्च ८ २०१०
गहराई लिए हुए सुन्दर रचना ....! आपके ब्लॉग पर प्रथम बार आया ,,,,अच्छा लगा ,,,शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से मैं भी आपके साथ हूँ ,,,चलो साथ चलते है ,,............!
2 comments:
गहराई लिए हुए सुन्दर रचना ....! आपके ब्लॉग पर प्रथम बार आया ,,,,अच्छा लगा ,,,शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से मैं भी आपके साथ हूँ ,,,चलो साथ चलते है ,,............!
वाह! बहुत दिनों बाद आए हो। मगर क्या आए हो। बढिय़ा
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