November 6, 2009

46. फ़िर भी हर क़तरा दुहाई देगा

जा कहीं से खंज़र

कोई औज़ार ले

और छलनी कर दे

इस ह्रदय को

फ़िर भी हर क़तरा

मेरे प्रेम की दुहाई देगा।

लहू का हर क़तरा
तेरा ही नाम लिखेगा...  


1 comment:

आमीन said...

bahut achha.. maine apne blog par bhi ye daal di hai