October 22, 2009

"नज़र" लग गयी राजा?

राजा (हुड्डा) तुझे "नज़र" लग ही गयी आखिर. तेरे पिछले करम कुछ अच्छे रहे होंगे शायद.तभी तो सांपनाथ (बिरेन्द्र सिंह) से निपट लिया, अब नाग नाथ (सांसद) से निपट के दिखाओ. नारी शक्ति (सैलजा, किरण चौधरी) तेरी परीक्षा लेने को तैयार बैठी है. जैसे-तैसे तुमने अपनी बचा तो ली, साम्राज्य भी पा लिया.लेकिन सम्राट बन पायेगा कि नहीं यह तो समय ही बताएगा.
किसी की चौधर नहीं रही. पर तूने अपनी बचा ली. अब कोई बचा है जिसकी लंका लगाएगा? नौ रत्न  (नौ सांसद) क्या तुझे राग दरबारी सुनायेंगे? राजा सस्ते में महँगी जान छूटी है. इस जनादेश में सबको कुछ न कुछ मिला है. किसी को झुनझुना तो किसी को मुहमांगी मुराद मिली है. बीस माह के बच्चे को भी बहुत कुछ मिला है.जिसका अस्तित्व मिट गया था...वो कमल भी खिला है. अफ़सोस बहन जी का हाथी धोखा दे गया.पर देख अपनी ताज बचा...महामाई (सोनिया गांधी) के दरबार में शीश झुका...अदब से अर्ज़ कर. उनके हुज़ूर में फरियाद कर.पांच साल जिस जनता को बिजली के झटके दिए तुमने ...देख उसी ने तेरे गले में "हार" पहनाया है. अब इन्हें चाहे प्याज के आंसू रुला या प्यासा रख...सब तेरे हाथ में है.अब पांच साल तक तुझे कोई नहीं रोकेगा...नहीं सुधरा तो समझ अपनी कब्र खुद खोदेगा.
राजा तेरी कुर्सी खतरे में पड़ी है...जिसे तुने जितना दबाया...एक लाइन तक छपने नहीं दिया वो तेरे सिर पर काल बन के नाच रहा है. बीस माह के बच्चे (हजकां) ने भी तेरी राह में कांटें उगा दिए हैं. राजा अब तू चलेगा भी तो उछल-उछल कर.अपना चश्मा बदल राजा ...दूर तक नज़र डाल...ये जो वीराना तुझे दिख रहा है..वो तेरी ही देन है. जिस कुनबे को समेटता रहा, जिसके लिए इतने पापड़ बेले दो कदम भी न चल सके. तूने बड़ी गलती की राजा.अब प्रायश्चित कर और मोह माया का त्याग कर परलोक सुधार.ये जो जनता है न...जब ये बजाती है तो कहीं से आवाज नहीं निकलती...खुदा की बेआवाज़ लट्ठ की तरह पड़ती है. तू सस्ते में छूटा ...अब तो सुधर जा.तू बस तमाशा देख लकड़ी (कुर्सी) का.

4 comments:

kishore ghildiyal said...

aakhir kab tak is nazar se bachte

Unknown said...
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Unknown said...

satik aur santulit tippani h

amit said...

bahut achha blog hai. keep up