January 14, 2008

21. मन क्यों भटकता है?

क्यों मन तुम्हारी यादों के सिवा
कहीं और नहीं भटकता?
क्यों यादें मुझे ले जाती हैं तुम तक?
क्यों तरुवर की शाखों से फूल नहीं
तुम्हारी खुशबू बरसती है?
क्यों शाम की तन्हाइयां
अब ड्स्ती नहीं
गुदगुदाती हैं
रोम रोम पुलकित कर जाती हैं?
क्यों मन तुम्हारा आगोश पाने को
आतुर रहता है?
क्यों वह पल थम नहीं जाता
जब हम आलिन्गन्बध्ध होते हैं?
क्यों ज़माने की क्रूर अंगुलियाँ
उठती हैं कलेजे को दुखाने को?
क्यों समझते नहीं लोग
मन के भावों को?

1 comment:

Unknown said...

bahut behtari likhte h ap.... kuch bhuli bisri yaaden jehan m wapas aa jati h....