October 27, 2009

39. मुझसे क्या चाहिए?

मुझसे क्या चाहिए?
एक बार कह कर तो देखो
एक यकीन कर के देखो
खुशियों की तलाश में
मुझ तक आती हो
...लेकिन मुझे ही
आहत कर जाती हो.
मुझसे क्या चाहिए?
कहो तो सही...
दो दिन हुए
ह्रदय पर आघात झेलते
पथराई आँखों में
अश्रु तैरते हैं
पर ये भी नहीं निकलते
तुम्हारी यादों कि तरह
अन्दर ही रहना चाहते हैं
मुझसे क्या चाहिए?
एक बार खुद से पूछो
मैं भी खुद से पूछता हूँ
ह्रदय पर
हथौड़े की चोट
और आँखों में अश्क
क्यों लिए घूमता हूँ?
पहले यही दर्द
मेरे होने का
एहसास करते थे
अब ये भी कलेजा दुखाते हैं.
समझ नहीं आता
किसे क्या चाहिए?
मुझे सुकून कि
किसी को मेरा सुकून!

No comments: