कभी ख़्वाबों को भी पंख दो
ये उड़ना चाहते हैं
इन्हें उन्मुक्त छोड़ कर देखो
ये भटकते नही
न ही ओझल होते हैं।
सपने कभी भारी नहीं होते
ये उम्मीदों पर पलते हैं
भावनाओं में बसते हैं।
इनमें छल नहीं होता
ये निश्छल होते हैं।
कभी डूबो-उतराओ इनमें
सींचो...
ये भी पलते हैं
इन्हें सहेजो, पालो
क्योंकि सपने भी फलते हैं...
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