अ़री ओ सुनामी लहरों
तुमने ये क्या किया?
हजारों सपनो पर पानी फेर दिया!!
जब भी तुम आवेश में आती हो
तटों से सैकड़ों-हजारों घर
बहा ले जाती हो
...किंतु ये घर नही थे
ये तो सपने थे
जिन्हें लाखों जोड़ी आंखों ने
हकीकत में बदले थे।
अब तुम कभी आवेश में मत आना
बस तटों को छू कर चली जाना।
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