आजादी अब साठ की हो गयी
इसका हंसना
बीते दिनों की बात हो गयी!
पूत-कपूत उपजे कमाल
बेशर्मी की इन्तहा हो गयी!!
किसको है परवाह
जो इसकी खिदमत करे!
फुरसत यहाँ किसे!!
सभी अपनी झोलियाँ भरते रहे
आजादी का दामन
ज़ार-ज़ार करते रहे!
वह समय भी आएगा
जब आजादी बीते दिनों की बात होगी!!
फिर तकलीफ भरे दिन
और करवटों में रात होगी!!!
1 comment:
दुष्ट .....ऐसे क्यों कहते हो फिर से आजादी बीते दिनों की बात होगी..पहले ही गरीब और सज्जन बेचारा मर मर के जी रहा है अच्छे वक्त की उम्मीद में सारे दुःख पी रहा है उसका धाडस बढाने से रहा .....और हर वक्त क्यों proove करना पड़ रहा है................मै रोबोट नहीं......:(
Post a Comment