October 14, 2009

32. भटकना मत

सबकुछ छोड़ देना
सपने देखना
कभी मत छोड़ना
बेशक बिसार देना मुझे
मेरा प्रेम न बिसराना।
बढ़ते रहना
चलते रहना
राह भटकाता दिखे कोई
तब सामने धंसे
मील के पत्थर को देखना
सही राह दिखायेगा।
फ़िर एक दिन
जब सबकुछ हासिल कर लो
सिर्फ़ एक बार पीछे मुडकर देखना
गहरी साँस फेफड़ों में भरकर
शांत मन से एक क्षण को
मुझे नहीं
मेरा प्रेम याद करना
उस मील के पत्थर को देखना
वह मैं ही था.

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