February 16, 2014

डर

मेरी मौत का
मातम मत मनाना
न मुझे जलाना 
कब्र पर फातिहा भी मत पढ़ना
बस एक चिराग रोशन रखना
सिरहाने में, क्योंकि 
अँधेरे से डरता हूँ.

मील का पत्थर हूँ

मील का पत्थर हूँ, 
किनारे हूँ, किन्तु अन्तस्थ धँसा हूँ
हर मंज़िल मुझसे होकर गुज़रती है.
पथिक! अनभिज्ञ हो तुम
न चाहो, फिर भी  
निगाहें ढूंढ़ेंगी
मुझसे मंज़िल का पता पूछेंगी.
मैं त्रस्त नहीं,
अभ्यस्त हूँ, 
अभिशप्त हो सकता हूँ,
कदाचित उपेक्षित नहीं.
मील का पत्थर हूँ
ज्ञात-अज्ञात मंज़िलों से बदा 
अभिलेख हूँ ,
सभी के काम आये
वो शिला लेख हूँ.
राह पूछकर चलते बनो 
रुको मत,  
मैं किसी की मंज़िल नहीं, 
न मेरी कोई मंज़िल. 

November 14, 2013

मैंने देखा है

मैंने देखा है
सम्‍भ्रान्‍त इलाके की गगनचुम्‍बी इमारतों के नीचे
उस लाल बत्‍ती पर
एक बच्‍ची को
एक वक्‍़त की रोटी के लिए
नक्‍कारे की गूंज पर
करतब करते हुए
मैंने देखा है....

एक संभावित भविष्‍य को
सिस्‍टम के आगे पस्‍त
करतब करते नट को
भूख का भय दिखाने के लिए
मुखाकृति विकृत करते
चेहरे पर स्‍वांग रचाते
मैंने देखा है...

अमीरों के कनॉट प्‍लेस बाज़ार में
जीवन से जूझते वृद्ध को
आयातित गाडि़यों के शीशे के पार से
घिघिया कर तुच्‍छ खिलौने बेचने की कोशिश करते
और उससे मुंह मोड़ते धन कुबेरों को
मैंने देखा है...

पुलिस मुख्‍यालय के सामने
सड़क पर ख़ून से लथपथ
घंटों दर्द से कराहते युवक को
अनदेखा कर सभ्‍य समाज के रहनुमाओं को
स्‍पन्‍दनहीन आगे बढ़ते
और मुख्‍यालय के गेट पर संतरी को
मुस्‍तैदी से ड्यूटी बजाते
मैंने देखा है...

भीड़ में अनजाने छुअन पर
सैंडल दिखाती सम्‍भ्रान्‍त घरों की युवतियों/महिलाओं को
व्‍यस्‍त सड़कों पर
फर्राटे से भागती कारों में
परिचित पुरुष को चुम्‍बन देते
मैंने देखा है...

ट्रेन में रेल कानून झाड़ते
एक अदद सीट के लिए
अपने पीछे घूमते जरूरतमंद यात्री पर
ईमानदारी की धौंस जमाने वाले टीटीई को
20 रुपये रिश्‍वत के लिए
सवारियों से हुज्‍जत करते
मैंने देखा है....


भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जंग में
जंतर-मंतर और रामलीला मैदान में
तख्तियां, झंडे लहराते हुए
रिश्‍वतखोरों को
भ्रष्‍ट व्‍यवस्‍था के खिलाफ
जि़न्‍दाबाद के नारे लगाते
मैंने देखा है...

- नागार्जुन

August 17, 2013

आज़ादी ले लोsss

आज़ादी ले लोsss
अभिव्यक्ति का गला घोंटने के लिए
लोकतंत्र का जनाज़ा निकालने के लिए
आज़ादी ले लोsss…
बेटियों-बहनों की अस्मत लूटने के लिए
देश को खोखला करने के लिए
आज़ादी ले लोsss...
६६ साल की रवायत कायम रखने के लिए
१२५ करोड़ की टोपी घुमाने के लिए
आज़ादी ले लोsss....


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ने sssss ता
इसमें सुर और ताल दोनों है
सा रे गा मा प ध नि
ता थई थई तत आ
जनता ही बेसुरी है.

July 22, 2013

क्षणिकाएं

ये जो दर्द है
यही मेरा हमदर्द है
पर ज़रा आहिस्ता कुरेदना
ये बड़ा बेदर्द है.
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काश कभी ऐसा होता
मेरा भगवान, तेरा ख़ुदा होता
एक ही घर में घंटियाँ बजतीं
एक ही घर में अजान होता
काश कभी ऐसा होता!

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तुम्हारी उलझी लटों में
मेरे कुछ ख्वाब फंसे हैं
ये लट सुलझा लो
मेरे ख्वाब गिरा दो.
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उस दिन तुम और करीब आ गए
जब हक़ीक़त से ख्वाब बन गए.
 
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तेरी मुहब्बत का असर इतना है
कि जेहन में नफ़रत का ख्याल नहीं आता
सोचो, गर मुहब्बत न होती तो क्या होता?


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किसकी भैंस गयी पानी में
किसका भला करेगा राम?
मेंढकी अलाप रही राग अलग
देखिये किसे होता है जुकाम?

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बरस रहा है मानसून, बूँदें हैं अनमोल
धीरे-धीरे खुल रही नेताओं की पोल

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नेता का पहाड़ा

नेता एकम नेता
नेता दूनी भाषण
नेता तिया आश्वासन
नेता चौके कुर्सी
नेता पंजे सियासत
नेता छके दल-बदल
नेता सत्ते मौका परस्त
नेता अठे घोटाला
नेता नवें दर्शन दुर्लभ
नेता दहाई पांच साल में प्रकट.
























 

June 7, 2013

हादसों का शहर

ये हादसों का शहर है
यहाँ न जाने
कब किसकी संवेदना मर जाए
और पल भर में
किसी की जेब कट जाये!

यहाँ मृत संवेदनाएं
सड़कों पर मौत बेलगाम दौड़ती हैं
बी एम डबल्यू कारें सरेआम रौंदती हैं
बेटियों की अस्मत भी महफूज़ नहीं
न जाने कब कोई हादसा हो जाये!

हर हाथ में चाकू
यहाँ हर शख्स चक्कूबाज़
फिक्रमंद दिल कब तक खैर मनाये
कोई नहीं जानता
कब किसकी अंतरात्मा आत्मा मर जाए!

आँखों में फ़रेब
साफ़ झलकता है
आइना भी हक़ीक़त छिपाता है
मैंने यहाँ आँखों में सूअर के बाल देखे हैं
पर नहीं जानता कौन घड़ियाली आंसू टपका जाए!

साहिबान मैं आयातित हूँ
इस भीड़ का हिस्सा नहीं
लाचारी है माहौल में ढलता नहीं
सोचता हूँ
शायद किसी रोज़ इसी भीड़ में अपना कोई मिल जाये!