July 22, 2013

क्षणिकाएं

ये जो दर्द है
यही मेरा हमदर्द है
पर ज़रा आहिस्ता कुरेदना
ये बड़ा बेदर्द है.
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काश कभी ऐसा होता
मेरा भगवान, तेरा ख़ुदा होता
एक ही घर में घंटियाँ बजतीं
एक ही घर में अजान होता
काश कभी ऐसा होता!

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तुम्हारी उलझी लटों में
मेरे कुछ ख्वाब फंसे हैं
ये लट सुलझा लो
मेरे ख्वाब गिरा दो.
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उस दिन तुम और करीब आ गए
जब हक़ीक़त से ख्वाब बन गए.
 
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तेरी मुहब्बत का असर इतना है
कि जेहन में नफ़रत का ख्याल नहीं आता
सोचो, गर मुहब्बत न होती तो क्या होता?


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किसकी भैंस गयी पानी में
किसका भला करेगा राम?
मेंढकी अलाप रही राग अलग
देखिये किसे होता है जुकाम?

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बरस रहा है मानसून, बूँदें हैं अनमोल
धीरे-धीरे खुल रही नेताओं की पोल

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